🔷 परिचय (Introduction)
बेलगाम अधिवेशन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का 39वाँ वार्षिक अधिवेशन था, जो 1924 में बेलगाम (अब कर्नाटक) में आयोजित हुआ।
इस अधिवेशन की विशेषता यह थी कि महात्मा गांधी ने अपने जीवन में केवल एक बार कांग्रेस अध्यक्ष पद स्वीकार किया — और वह इसी अधिवेशन में।
📌 मुख्य बिंदु (Key Highlights)
वर्ष 1924
स्थान बेलगाम (अब बेलगावी, कर्नाटक)
अध्यक्ष महात्मा गांधी
विशेषता गांधी जी का एकमात्र अध्यक्षीय कार्यकाल
उद्देश्य स्वराज की दिशा में अहिंसात्मक और रचनात्मक मार्ग की पुन: पुष्टि
🧭 ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
1922 में चौरी-चौरा कांड के बाद गांधी जी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया।
इसके बाद कांग्रेस में दो धड़े उभर आए:
प्रोचेंजर्स (जैसे: मोतीलाल नेहरू, सी.आर. दास) – चुनावों में भाग लेने के पक्षधर।
नोचेंजर्स (जैसे: गांधी, राजेन्द्र प्रसाद) – रचनात्मक कार्यों के समर्थक।
इसी मतभेद को सुलझाने और कांग्रेस को एकता की दिशा में लाने के लिए 1924 का अधिवेशन महत्वपूर्ण था।
🪔 अधिवेशन में लिए गए निर्णय
✍️संगठन में एकता पर बल।
✍️रचनात्मक कार्यक्रमों को प्राथमिकता।
✍️स्वराज प्राप्ति हेतु अहिंसा एवं सत्याग्रह के मार्ग को दोहराया गया।
✍️छुआछूत निवारण, खादी और ग्रामोद्योग को बढ़ावा देने पर बल।
🧠 UPSC/PCS/SSC परीक्षा दृष्टिकोण से मुख्य तथ्य:
1. Q. महात्मा गांधी ने कांग्रेस का अध्यक्ष कब और कहाँ बनना स्वीकार किया था?
→ बेलगाम, 1924
2. Q. गांधी जी का कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में एकमात्र अधिवेशन कौन-सा था?
→ बेलगाम अधिवेशन (1924)
3. Q. बेलगाम अधिवेशन का उद्देश्य क्या था?
→ कांग्रेस में एकता और अहिंसात्मक रचनात्मक कार्यक्रमों को मजबूती देना।